
भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू जिले के छोटे से गांव में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उनका बचपन अत्यन्त ही कठिनाइयों में गुजरा। स्कूल में उन्हें छुआछूत जैसी कुरीतियों का भी सामना करना पड़ा था। लेकिन दृढ़ इच्छा के धनी भीम ने अपने सभी अपमानों को भुला कर अपनी पढ़ाई पूरी की, तथा अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर 32 डीग्री प्राप्त की थी। विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटे तथा दलित समाज के उत्थान के लिए काम करना शुरू किया।जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले अंबेडकर सम्मान में आज के दिन को समानता दिवस या ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। पुणे में 14 अप्रैल 1928 में पहली बार भीमराव अंबेडकर की जयंती मनायी गयी थी, जिसका श्रेय सदाशिव रणपिसे को जाता है।
स्वतंत्र भारत के संविधान के रचियता अंबेडकर की जयंती विश्व के 100 से भी अधिक देशों में मनाया जाता है। भारत मे इस दिन को सभी सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं में अवकाश होती है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहली बार 2015 में मानवाधिकार के क्षेत्र में किए गए अतुलनीय कार्य के लिए सम्मान में अंबेडकर जयंती मनाया था।
समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए लड़ने वाले एवं संविधान के रचियता जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा श्रोत है। जरूरत है तो केवल उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर समाज को नयी दिशा देने की। जिनसे एक बेहतर समाज बन सके, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय के लोग बिना किसी बंधन और भेदभाव के रह सके, हर व्यक्ति स्वच्छन्द और स्वतंत्र अनुभूति कर सके।
बहुत सुंदर ज्ञानवर्धक लेख
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